
गणेश चतुर्थी 2025: घर पर गणेश पूजा कैसे करें, पूजन मुहूर्त और दिव्य कथा
जानिए गणेश चतुर्थी की पवित्र कथा, बप्पा को मोदक अर्पित करने का आध्यात्मिक अर्थ, सही मुहूर्त व तिथियाँ, और घर पर सरलता से पूजन करने की क्रमवार विधि।
गणेश चतुर्थी: कथा और भावार्थ
बहुत समय पहले, माता पार्वती ने चंदन के लेप से एक बालक रचा, उसमें प्राण फूँके और उसे अपना पुत्र गणेश कहा। गणेश जी के, भगवान शिव को माँ पारवती के पास जाने की आज्ञा न देने पर भगवान शिव ने अनजाने में क्रोध वश श्री गणेश का सर काट दीया था, जिससे पार्वती शोकाकुल हो उठीं।
शिव ने पार्वती को शांत करने के लिए दिव्य गज का मस्तक लगाकर गणेश को पुनर्जीवन दिया और उन्हें विघ्नहर्ता व शुभारंभ के देवता का आशीर्वाद दिया। तभी से हर शुभ कार्य, व्रत और उत्सव से पहले बप्पा की पूजा का विधान है—यह कथा हमें श्रद्धा, त्याग और ईश्वरीय कृपा की याद दिलाती है।
भगवान गणेश को माना जाता है —
- नई शुरुआत के प्रतीक: हर नए कार्य में सफलता का आशीर्वाद देने वाले।
- विघ्नहर्ता: जीवन के अवरोध दूर करने वाले।
- समृद्धि के दाता: घर-परिवार में सुख, शांति और लक्ष्मी की कृपा लाने वाला।
मोदक और बप्पा: प्रेम व भक्ति का बंधन
कहते हैं, देवताओं ने गणेश जी को एक दिव्य मिठाई, ‘मोदक’ अर्पित की। बप्पा को उसका स्वाद इतना प्रिय लगा कि उन्होंने इसे आनंद, ज्ञान और आंतरिक सुख का प्रतीक माना। मोदक का गोल आकार पूर्णता और भीतर छिपे आध्यात्मिक ज्ञान का द्योतक है। इसी कारण गणेश चतुर्थी पर मोदक अर्पित करना शुभ माना जाता है । यह बप्पा को प्रसन्न करता है और घर में सुख-समृद्धि का आमंत्रण देता है। चाहे भाप में बने उकडीचे मोदक हों या तले हुए—बिना मोदक के गणेश पूजन अधूरा है।
शुभ गणेश पूजन मुहूर्त व तिथि
पूजा मुहूर्तों का पालन करने से आराधना ईश्वरीय समय के अनुसार होती है और कृपा-आशीष अधिक प्राप्त होते हैं।
- चतुर्थी तिथि (शुक्ल पक्ष, भाद्रपद): 26 अगस्त 2025 को दोपहर 1:54 बजे से आरंभ होकर 27 अगस्त 2025 को लगभग दोपहर 3:44 बजे तक।
- गणेश चतुर्थी का पर्व: बुधवार, 27 अगस्त 2025।
मध्याह्न पूजन मुहूर्त (घर/समुदाय पूजा): सुबह 11:05 से दोपहर 1:40 बजे के बीच पूजा श्रेष्ठ मानी गई है।
घर पर करें गणेश चतुर्थी पूजन: क्रमवार विधि
- तैयारी: पूजन स्थल साफ कर फूल, रंगोली और लाल/पीला स्वच्छ कपड़ा लगाएँ।
- स्थापना: वेदी पर गणेश जी की मूर्ति रखें, दीपक व धूप जलाएँ।
- संकल्प: हथेली में जल लेकर श्रद्धा व एकाग्रता से पूजा का संकल्प लें।
- आवाहन: “ॐ गं गणपतये नमः” जैसे मंत्रों से बप्पा का आवाहन करें।
- उपचार/अर्पण: फूल, दूर्वा, फल, नारियल व मोदक समर्पित करें।
- प्रार्थना व आरती: मंत्रजप करें, आरती गायें, प्रसाद बाँटें।
- विसर्जन: पूजा का समापन मूर्ति विसर्जन के साथ करें, अथवा घर, मंदिर या घाट पर प्रतीकात्मक विसर्जन करें।
पूजाश्री की अंतरात्मा से
पूजाश्री में हमारे लिए गणेश चतुर्थी केवल उत्सव नहीं—यह बप्पा को घर और हृदय में बसाने का स्नेहिल अवसर है।
उनकी प्रतिमा हमें सीख देती है—
- बड़े कान: ध्यानपूर्वक सुनने के लिए
- छोटा मुख: संयम से, सोच-समझकर बोलो।
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मजबूत सूँड: परिस्थितियों में धैर्य और लचीलापन रखो।
जब हम बप्पा का स्वागत करते हैं, तो शांति, स्पष्टता और सकारात्मकता हमारे जीवन में आती है। हर मोदक और हर आरती हमारे लिए प्रेम, एकता और दिव्य आनंद का क्षण है।
पूजाश्री आपके लिए लेकर आया है एक सच्चा दिव्य, सरल, किफायती और संपूर्ण गणेश पूजा किट, जो हर भक्त के लिए प्रेम से तैयार किया गया है।
समापन
गणेश चतुर्थी केवल पर्व नहीं, बल्कि श्रद्धा, विवेक और एकजुटता का उत्सव है। बप्पा की कथा भक्ति जगाती है, मोदक प्रेम की मधुरता का प्रतीक है, और पूजन-विधि घर में शुभता लाती है। जैसे ही “गणपति बप्पा मोरया” की गूँज उठती है, गणेश जी सभी को आनंद, स्पष्टता और विषम परिस्थितियों से उबरने की शक्ति प्रदान करें।