"अक्षय तृतीया 2025 का महत्व, शुभमुहूर्त, शुभदान और पूजाश्री के दृष्टिकोण से इस पर्व का आपके जीवन में आशीर्वाद।जानिए क्यों इस दिन को शुभ माना जाता है,और उस दान का उत्तम फल क्या है।"
क्या है अक्षय तृतीया ?
वैशाख मास में शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया या आखा तीज कहते हैं।
वेद-पुराण के अनुसार इसदिन जो भी शुभकार्य किए जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है। इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है।
द्रिक पंचांग अनुसार—
अक्षय तृतीया 2025 तिथि: 30 अप्रैल 2025। बुधवार
अक्षय तृतीया 2025 मुहूर्त: 6.00 AM TO 12.18 PM
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अक्षय तृतीया का महत्व
अक्षय का अर्थ है" जिसका कभी क्षय (अंत) नहो। "इस दिन किया गया कोई भी शुभकार्य, दान या पूजन अक्षयफल प्रदान करता है। 'स्वयं सिद्ध मुहूर्त' भी इसे कहा जाता है, यानी किसी भी शुभकार्य के लिए पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती।
पौराणिक महत्व
पुराणों में कहा गया है — “यदा त्रेता युगे तृतीया अक्षया भवति तदा सर्वं दानं पुण्यं च अक्षयत्वं प्राप्नोति।”
अर्थात – इस दिन किया गया हर पुण्य कर्म अनंतफल देने वाला होता है।
- भगवान परशुराम, विष्णु के छठे अवतार का अवतरण वैशाख शुक्ल तृतीया (अक्षय तृतीया) को हुआ था।
- पांडवों को अक्षय पात्र इसी दिन प्राप्त हुआ था।
- त्रेतायुग की शुरुआत इसी दिन मानी जाती है।
अक्षय तृतीया पर शुभदान
अक्षय तृतीया पर शुभदान का अत्यधिक महत्व है। इस दिन किया गया दान कई गुना फल देता है और इसे "अक्षयपुण्य" की प्राप्ति का माध्यम माना गया है।
अक्षय तृतीया पर किया गया दान सिर्फ एक धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि मानवीयता का प्रतीकहै। यह हमें दूसरों की मदद करने और अपने भीतर की करुणा को जगाने की प्रेरणा देता है । यही दान हमें सच्चे अर्थों में धार्मिक, सामाजिक और आत्मिक रूप से समृद्ध बनाता है।
अक्षय तृतीया पर क्या-क्या दान करें?
इस शुभ दिन आप अपनी क्षमता अनुसार निम्नलिखित में से कुछ भी दान कर सकते हैं-
- अन्न, फल, मिठाई
- चांदी, सोनायाधातु
- जल से भरे तांबे के घड़े
- सफेद वस्त्र
- गाय, भूमि या धार्मिक पुस्तकें (यदि संभव हो)
अक्षयतृतीया: पूजा श्री कादृष्टिकोण
भारतीय संस्कृति में कुछ तिथियाँ केवल कैलेंडर की तिथि नहीं होतीं, बल्कि वे जीवन को दिशा देती हैं, चेतना जगाती हैं, और समय से परे होती हैं।
अक्षय तृतीया ऐसी ही एक तिथि है। यह वह दिन है जब काल के चक्र में एक क्षण ऐसा आता है, जहाँ आरंभ करने वाला हर कर्म, हर संकल्प, हर भावना अक्षय हो जाती है।
हम मानते हैं कि ईश्वर को अर्पित की जाने वाली हर वस्तु भी अक्षय होनी चाहिए —
शुद्धतामें अक्षय, श्रद्धामें अक्षय, और सत्यमें अक्षय।
पूजा श्री इसी विश्वास को साकार करता है। हमारे द्वारा निर्मित हर पूजा सामग्री, हर धूप, हर दीप, और हर व्रत कि
वही शुद्धता है, जो इस पावन दिन पर धर्म और ईश्वर को अर्पित करने योग्य हो।
इस दिन केवल स्वर्ण ही न खरीदा जाए, बल्कि जीवन में सत्कर्मों का ऐसा बीज बोया जाए,
जो आने वाली पीढ़ियों तक अक्षय बना रहे।
• एक दिया जलाएँ — श्रद्धा के नाम।
• एक व्रत करें — स्वयं के शुद्धि करण के लिए।
• एक संकल्प लें — धर्म और सत्य के पथ पर चलने का।
हमारी ओर से अक्षयतृतीया की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ।
पूजाश्री https://www.pujashree.com की पहल है आप तक वेद अनुसार उच्चतम उत्पाद आप तक लाना।
आइए अपने आराध्य की शुद्ध एवं सर्वोत्तम सामग्री चढ़ाकरआराधना करें।